कल कहीं ये ना पूछना पड़े की - क्या राजनीतिक दल दुकान बन गए है, रवीश कुमार सर ने इस सवाल के साथ आज का प्राइम टाइम समाप्त कर दिया परन्तु मेरे जैसे फोकट प्राणियों के लिए इस देश के भविष्य की राजनीति के कुछ भयानक और मजेदार दृश्य छोड़ दिए जिसमे देशभर के 790 (545+245) परिवारो को अनिश्चित काल के लिए स्थायी रोजगार दिया गया होगा, लोकसभा क्षेत्रों के स्थान पर लोकसभा परिवार होंगे - गांधी परिवार , यादव परिवार , बादल लोकसभा तो कहीं चौटाला लोकसभा , कहीं ठाकरे लोकसभा तो कहीं सिंधिया लोकसभा। सबकी दुकाने होगी संसद वाले मॉल में। चुनाव का तो नामोनिशान ही लगभग मिट जाएगा , अगर कहीं चुनाव होंगे भी तो वो होंगे अन्तरापरिवार चुनाव, जो इन्ही 790 परिवारों में किसी परिवार में एक समय में एक से ज्यादा बेरोजगार संतानों के होने पर होगा। राजनीती अगर इसी ढर्रे पर बढ़ती रही तो खैर वो दिन दूर नहीं जब मेरी इन कल्पनाओं में से कुछ सही हो जायेगी , इतिहास कि किताबों में लोदी वंश या तुगलक वंश की जगह बादल वंश या गांधी वंश ले लेंगे।
तो बात वंशवाद की हो रही थी, बड़े बड़े पार्टी प्रवक्ता खुद के दामन में झांके बगैर विपक्षियों पर जो प्रहार कर रहे थे वो निश्चित रूप से उनके डिबेट में आने से पहले किये हुए होमवर्क को दर्शा रहा था।
जब रवीश सर कांग्रेस वाले साब से कन्नोज में उम्मीदवार खड़ा न करने की वजह पूछते है तो वो बोलते है कि
"समाजवादी पार्टी ने भी तो कुछ जगहों पर हमारे खिलाफ उम्मीदवार नहीं खड़े किये"
यही हाल हमारी प्यारी भाजपा का है , उनके प्रत्याशी भी कन्नोज में नामांकन नहीं कर पाते।
महाराष्ट्र से आये राउत सर बोलते है -" वंशवाद तो हमारे बॉलीवुड में भी है ही "
तो सर सिनेमा में जो वंशवाद है वो कम से कम इस देश को प्रभावित तो नहीं करता , अभिषेक बच्चन कि फ़िल्म कोई इसलिए जाकर नहीं देखता क्यों कि वो अमिताभ बच्चन सर के पुत्र है। फरहान अख्तर को बेस्ट एक्टर इसलिए नहीं मिलता क्यूंकि उनके पिता जावेद अख्तर है , ऐसे उदाहरण तो अनेकों है पर आप नेता लोगो को समझाने के लिए तो कम ही है।
जैसा कि रवीश सर कहते है -" गलती हो सकती है , होनी भी चाहिए ", तो अगर किसी को मेरे विचार गलत लगे तो कृपया माफ़ करें।
सभी तरह की आलोचनाओं का स्वागत है , अपने मूल्यवान कमेंट्स देने से हिचके नही। …
तो बात वंशवाद की हो रही थी, बड़े बड़े पार्टी प्रवक्ता खुद के दामन में झांके बगैर विपक्षियों पर जो प्रहार कर रहे थे वो निश्चित रूप से उनके डिबेट में आने से पहले किये हुए होमवर्क को दर्शा रहा था।
जब रवीश सर कांग्रेस वाले साब से कन्नोज में उम्मीदवार खड़ा न करने की वजह पूछते है तो वो बोलते है कि
"समाजवादी पार्टी ने भी तो कुछ जगहों पर हमारे खिलाफ उम्मीदवार नहीं खड़े किये"
यही हाल हमारी प्यारी भाजपा का है , उनके प्रत्याशी भी कन्नोज में नामांकन नहीं कर पाते।
महाराष्ट्र से आये राउत सर बोलते है -" वंशवाद तो हमारे बॉलीवुड में भी है ही "
तो सर सिनेमा में जो वंशवाद है वो कम से कम इस देश को प्रभावित तो नहीं करता , अभिषेक बच्चन कि फ़िल्म कोई इसलिए जाकर नहीं देखता क्यों कि वो अमिताभ बच्चन सर के पुत्र है। फरहान अख्तर को बेस्ट एक्टर इसलिए नहीं मिलता क्यूंकि उनके पिता जावेद अख्तर है , ऐसे उदाहरण तो अनेकों है पर आप नेता लोगो को समझाने के लिए तो कम ही है।
जैसा कि रवीश सर कहते है -" गलती हो सकती है , होनी भी चाहिए ", तो अगर किसी को मेरे विचार गलत लगे तो कृपया माफ़ करें।
सभी तरह की आलोचनाओं का स्वागत है , अपने मूल्यवान कमेंट्स देने से हिचके नही। …