मैं ईश्वर कि शपथ लेता हु कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सची श्रद्धा और निष्ठां रखूँगा , मैं भारत कि प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा।
इसी शपथ के साथ एक आम आदमी और उसके कुछ साथी राजधानी में सत्ता पर काबिज़ हो गये।
राजनीतिक दिग्गज जो कुछ दिन पहले तक इस आम आदमी को बरसाती कीड़ा बोल रहे थे, उसी कीड़े ने
रामलीला मैदान से अपना संघर्ष शुरू किया और आज दिल्ली विधानसभा तक पहुँच गया है। इस कीड़े ने तमाम राजनीतिक पंडितों की आँखों पर लगी अहंकार और गलतफहमी की पट्टी कुतर डाली। अहंकार तो उनको हो गया था जो 15 साल से कुर्सी गरम कर रहे थे और गलतफहमी में कुछ वो लोग थे जो किसी की लहर के ही भरोसे बैठे थे।
कुछ बात तो है ही इस आम आदमी में जो नमो इसके खिलाफ कुछ भी बोलने का जोखिम नहीं उठाना चाहते और रा.गा. पहले ही बोल चुके है की हमें आम आदमी पार्टी से सीखने की जरुरत है।
देश बदल रहा है, राजनीति बदल रही है -ये मोदी कि लहर नहीं केजरीवाल कि आंधी चल रही है।
ये आम आदमी अब रुकने वाला नहीं है,इसकी मजबूरी को इसकी कमजोरी समझकर हर बार इसके साथ अन्याय हुआ,लोकतंत्र और राजनीती कि परिभाषा ही बदल दी गयी, लेकिन अब और नहीं। राजनीती की गन्दगी साफ़ करने के लिए अब झाड़ू थाम ली है आम आदमी ने। रामलीला मैदान से निकल कर ये झाड़ू और टोपी वाले रायसिन्हा हिल के लिए चल निकले है। कागजों पर भले ही रामलीला मैदान से रायसिन्हा हिल के बीच की दूरी 30 किलोमीटर हो पर असल में ये रास्ता पुरे देश के कोने कोने में से होकर निकलेगा।
सत्ता के गलियारों में तूफ़ान बन कर आया ये आम आदमी राजनीति को मंदिर , मस्जिद, जाति और धर्म से ऊपर उठाकर बिजली , पानी , गरीबों और महिलाओं की सुरक्षा तक ले आया है।
देश की राजनीति में इस सकारात्मक बदलाव का खुले दिल से स्वागत करते हुए , आशा करता हूँ की आम आदमी अपने उसूलों और शपथ के एक एक शब्द का सम्मान करेगा और भविष्य में आम से ख़ास होने के बाद भी दिल से हमेशा आम आदमी ही रहेगा।
देश की राजनीति में इस सकारात्मक बदलाव का खुले दिल से स्वागत करते हुए , आशा करता हूँ की आम आदमी अपने उसूलों और शपथ के एक एक शब्द का सम्मान करेगा और भविष्य में आम से ख़ास होने के बाद भी दिल से हमेशा आम आदमी ही रहेगा।
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