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-कलमक्रान्ति
Wednesday, March 26, 2014
Wednesday, March 5, 2014
चुनावी आगाज - पत्थरो और लाठियों के साथ
चुनावी आचार संहिता आज लागू ही हुई थी कि कहीं पर किसी को गिरफ्तार कर लिया , कहीं प्रदर्शन कहीं पत्थराव , वजह जो भी हो इस सब के पीछे पर इज्जत तो इस लोकतंत्र की ही लूटी गयी। कुर्सियां और पत्थर उछाले जा रहे है , किसी का सर फोड़ दिया किसी को लाठियों से पीटा गया। टीवी डिबेट्स में बैठकर अपनी अपनी पार्टी को दूध की धुली बता कर सामने वालो पर भर भर के कीचड़ उछाला जा रहा है।
क्या दुर्भाग्य आ गया है इस देश का , दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की गरिमा की धज्जियां उड़ाई जा रही है , और ऐसा करने वाले कोई और नहीं बल्कि खुद वो ढोंगी लोग है जिन्होंने कभी बड़ी ही बुलंद आवाज़ों में इस लोकतंत्र की गरिमा बनाये रखने की शपथ ली थी। कुछ ही दिन पहले की बात है तेलंगाना मुद्दे पर एक महाशय ने मिर्ची स्प्रे छिड़क दिया ,किसी ने माइक तोड़ दिया , हद तो तब हो गयी जब उत्तरप्रदेश विधानसभा में दो महोदय निर्वस्त्र हो गए और अभी कुछ दिन पहले कानपुर में एक विधायक और उनके साथियों ने मेडिकल कॉलेज के छात्रों को हॉस्टल में घुस कर मारा।
चंद वोटो के खातिर उपद्रव मचाने वाले इन नेताओं को इतने दिन से इग्नोर कर रहा था पर आज ये उंगलियां अपने आप कलमक्रांति पर टाइप करने लगी ,जब घरवालो ने फ़ोन करके मुझे ये बोला कि" बेटा हॉस्टल से बाहर जाए तो ध्यान रखना ,कोशिश करना कि जाने की जरुरत ना ही पड़े ,ये ख़बरों में दिखा रहे है कि केजरीवाल की गाडी पर हमला हुआ है और दिल्ली लखनऊ में भी ये लोग आपस में लड़ रहे है "
तो अब हालत ये हो गयी है कि घरवालो को ये चिंता रहती है कि उनका लड़का राजनीती के इस घटिया रूप की चपेट में ना आ जाए।
सोशल मीडिया पर भी नमो और अरविन्द के चेले अपने अपने गुरुओं के बचाव में अंधाधुंध स्टेटस और फोटोज दागने में लगे है ,और इसी जद्दोजहद में अपनी भाषा और संयम को राजनीती से भी नीचे गिरा दिया इन अंधे भक्तों ने।
इन फूल ,पंजे, झाड़ू और साइकिल वालों ने उस तिरंगे और संसद को शर्मसार कर दिया है।
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