गोरखपुर में नन्हे बच्चे प्रशासन की लापरवाही की बलि चढ़ गए है , हरियाणा में सरकार के सुरक्षा इंतज़ाम आश्वासन के बावजूद 38 लोग भीड़ में छुपे गुंडों के हाथो मारे गए , रेलगाड़ियाँ पटरियों से उतर रही है, दंगे हो रहे है .........अराजकता तो नहीं है ,सरकारें है हमारे पास ...... लेकिन जवाबदेही कहाँ है..... सवाल पूछने वाला विपक्ष कहाँ है ?
लोकतंत्र में सरकार का जितना महत्व है उतना ही विपक्ष का , लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए ही विपक्ष का अस्तित्व है।
हाँ ये सच है संसद में विपक्ष के पास सरकार की किसी नीति को अस्वीकार करने लायक आंकड़े नहीं है , लेकिन संसद एक मंच भी प्रदान करता है देश के नागरिको तक अपनी बात पहुंचाने के लिए , किसी नीति पर सरकार के समानांतर या विपरीत एक पक्ष रखने के लिए, जाहिर है की विपक्ष अपनी ये जिम्मेदारी भी भूल गया है।
संसद में पक्ष रखने के लिए वहां हाजिर रहना पड़ता है और बीते सालो में सांसदों की संसद में गैरहाजरी तो पहले से ही विचारणीय बिंदु रहा है। अगर संसद में नहीं तो संसद के बाहर ही सही , लेकिन विपक्ष तो वहां भी नहीं है। संविधान बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार इसलिए भी देता है की बिना किसी दबाव के सरकार के काम की प्रशंसा या निंदा की जा सके।
अगर यही हाल रहा तो डर है की हमारा लोकतंत्र भी एक कागजी लोकतंत्र बनकर रह जाएगा जिसमे सरकारे चुन के तो लोगो में से आएगी पर अपनी गलतियों के लिए लोगो के प्रति उनकी जवाबदेही कहीं नहीं होगी।
लोकतंत्र में सरकार का जितना महत्व है उतना ही विपक्ष का , लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए ही विपक्ष का अस्तित्व है।
हाँ ये सच है संसद में विपक्ष के पास सरकार की किसी नीति को अस्वीकार करने लायक आंकड़े नहीं है , लेकिन संसद एक मंच भी प्रदान करता है देश के नागरिको तक अपनी बात पहुंचाने के लिए , किसी नीति पर सरकार के समानांतर या विपरीत एक पक्ष रखने के लिए, जाहिर है की विपक्ष अपनी ये जिम्मेदारी भी भूल गया है।
संसद में पक्ष रखने के लिए वहां हाजिर रहना पड़ता है और बीते सालो में सांसदों की संसद में गैरहाजरी तो पहले से ही विचारणीय बिंदु रहा है। अगर संसद में नहीं तो संसद के बाहर ही सही , लेकिन विपक्ष तो वहां भी नहीं है। संविधान बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार इसलिए भी देता है की बिना किसी दबाव के सरकार के काम की प्रशंसा या निंदा की जा सके।
अगर यही हाल रहा तो डर है की हमारा लोकतंत्र भी एक कागजी लोकतंत्र बनकर रह जाएगा जिसमे सरकारे चुन के तो लोगो में से आएगी पर अपनी गलतियों के लिए लोगो के प्रति उनकी जवाबदेही कहीं नहीं होगी।
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