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कलमक्रान्ति : भारत माँ, निर्भया और आसिफा

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-कलमक्रान्ति

Thursday, April 12, 2018

भारत माँ, निर्भया और आसिफा


"Patriotism is the last refuge of a scoundrel"


"राष्ट्रवाद ही निक्रिष्टों का अंतिम सहारा है"


सेमुएल जॉनसन द्वारा आज से  करीबन  ढाई सौ साल पहले बोले गए ये शब्द जीवंत हो उठे जब भारत माता की जय के नारे लग रहे थे भारत माँ की ही बेटी के बलात्कार के आरोपी को बचाने के लिए। अबिन्द्र नाथ टैगोर ने कभी न कल्पना की होगी कि उनकी बनाई भारत माँ  एक दिन कुछ जाहिलों को बचाने के लिए काम में ली जायेगी।

जो लिखने, पढने में शर्म आ जाए ऐसे अपराध उस आठ साल की बच्ची के साथ कठुआ में  किये गए है,  इंडियन एक्सप्रेस में छपी चार्जशीट पढने के बाद अगर आप की रूह न काँप जाए तो अपने अंदर के इंसान को टटोल कर देख लेना, हो सकता है मर गया हो इस देश की दुर्गति देख कर।  तिरंगा , श्रीराम , हिंदुत्व , भारत माँ , मजहब सब मैदान में आ गए है पर इंसानियत काफी पीछे छूट गयी है।  गिद्धों की तरह उस मासूम की लाश को नोच रही है ये राजनीति अब।  
सरकार के मंत्री आरोपी के समर्थकों से मिलकर चले आते है पर उस मासूम बच्ची के परिवार को सांत्वना देने का वक़्त नहीं निकाल पा रहे है। उत्तरप्रदेश में बेटी का बलात्कार कर दिया गया और पिता की मृत्यु पुलिस हिरासत में हो गयी है , जब की आरोप स्थानीय विधायक पर है।   राजनीति गन्दी हमेशा से थी, अब घिनौनी भी हो गयी है। ये समाज, सरकार, कानून, संविधान सब निरर्थक है, बेकार है अगर ऐसे ही कभी कोई निर्भया तो कोई आसिफा बनती रही। 
अंदर का नौजवान इस सब में वक़्त जाया न कर अपने करियर और इम्तिहानो की तैयारी करने को सोचता है लेकिन मैं किसी का भाई हूँ, बेटा भी हूँ, आसिफा जैसी ही मासूम छोटी छोटी लड़कियां मुझे चाचा मामा या भैया बोलती है, डर लगता है अब...... अपने करियर की चिंता से कहीं ज्यादा उन की हिफाजत का डर है। हमारा रूढ़िवादी पुरुषप्रधान  समाज एक तो पहले ही बेटियों को बाँध के रखे  हुआ था , अब हाल ऐसी ही दरिंदगी का चलता रहा तो कैसे कोई पिता अपनी बेटी को पढ़ने जाने देने का साहस जुटा पायेगा। 

समाज विकृत होने का उलाहना कब तक देंगे, हर बार सरकार लापरवाह और नेता गैरजिम्मेवार बोलकर हम कब तक अपनी बारी न आने की खैर मनाते रहेंगे ?
फिल्मी डायलॉग है पर यहां बोलना जरुरी है: "कोई देश परफेक्ट नहीं होता, उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है"  ये देश एक लोकतंत्र है,लोकतंत्र में सरकारों की जवाबदेही तय करने के नाना तरह के अधिकार जनता के पास होते है, हमारे पास भी है।  अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है आपके पास , मंच सोशल मीडिया देता है भरपूर उपयोग करे। शांतिपूर्वक सम्मलेन और प्रतिवाद का अधिकार भी है , अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाएं , अपनी आने वाली पीढ़ी के अधिकारों की सुरक्षा  के लिए आवाज उठाए।  
वर्ना हमारा आज का नपुंसत्व कल किसी और आसिफा की मौत की वजह बनेगा।

"समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध"
-दिनकर




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